Sangeeta singh

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सारंडा का जंगल

सरकार  बुधुवा को पकड़ के लाए हैं,पुलिस के लिए हमारी  मुखबिरी कर रहा था_ जीवन  ने कमांडर से कहा।
मारबो और का?
इकरो गला रेतके ऐकर मुंडी पेड़ में टांगी दियो_सरदार का आदेश था।

सारंडा के घने  वन  में ये सब बातें जीवन ,और उसके सरदार के बीच हो रही थी।सरदार  अपने गुर्गों के साथ मुर्गे और दारू का पूरा आनंद उठा रहा था।

बुधुआ मुखबिरी कर रहा था ,ये सुन उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया,और उसने उसे मुर्गे की तरह ही हलाल कर पेड़ में लटकाने का फरमान सुना दिया।
          सारंडा का वन अब उन नक्सलियों का इलाका  बन गया था, जिसकी  सीमा ,झारखंड ,छत्तीसगढ़ और उड़ीसा से लगती है।सात सौ  छोटी पहाड़ियों से घिरा ये  वन एशिया में सबसे ज्यादा साल की लकड़ियों के लिए जाना जाता है।यहां प्रकृति ने दिल खोल कर सुंदरता लुटाई है।
यह वन प्रदेश 820 किलोमीटर वर्ग क्षेत्र में फैला है।

कभी यह क्षेत्र पर्यटकों की पहली पसंद हुआ करता था।लोग आते जंगल सफारी करते ,पिकनिक मनाते,यहां के धार्मिक स्थल छोटा नागरा के दर्शन करते ।
कोयल , कारो नदी यहां ,पानी का स्रोत हैं। टेबो जलप्रपात तो लद्दाख की याद दिला देता है।

सब कुछ कितना  अच्छा चल रहा था,अचानक पता नही किसी की नजर जैसे इस  जगह की  सुंदरता पर लग गई।

बीते 10  सालों से यह माओवादी,नक्सलियों का प्रमुख गढ़ बन गया था।
नक्सली आंदोलन बंगाल के  नक्सलबाड़ी गांव से शुरू हुआ था, चारु मजूमदार और  कानू सान्याल के नेतृत्व में।

पहले यह आंदोलन गरीबों को न्याय ,जमींदारों द्वारा गरीबों की हड़पी भूमि को छुड़ाने,और सरकारी तंत्र के शोषण को रोकने के लिए हुआ था।बाद में इसका स्वरूप ही बदल गया।
अब इस आंदोलन में राजनीति हावी हो गई।
अब नक्सली हर बुरा कार्य करने लगे  ,जो एक सभ्य समाज के लिए माथे का धब्बा बन चुका है।
सारंडा के जंगलों में  हरिया ,जो कमांडर था इस संगठन का नेतृत्व कर रहा था।धन उगाही,कोयला ,लौह  अयस्क खदानों , में उसका कमीशन फिक्स था।
अपहरण,लैंड माइंस बिछाना,  आवागमन के साधनों को विस्फोटकों से उड़ा देना ,उसके लिए आम बात थी।जहां बच्चों से स्कूल गुलजार रहते थे ,अब वहां मातम छाया रहता है,लोग अपने घरों में रहने को मजबूर थे।

बहन बेटियों को  गिरोह के लोग अपने मनोरंजन के लिए उठा ले जाते थे।

इनकी सहायता स्थानीय विधायक लल्लन सिंह कर रहा था,इन सभी के लिए अत्याधुनिक हथियारों के सप्लाई वही करवाता था।बदले में ये नक्सली उसे निर्विरोध चुनाव में  जितवाते थे।

अभी हाल में ही अनजाने में कुछ पर्यटक रास्ता भटक इनके अड्डे तक पहुंच गए तो हरिया ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया था।
मामला जब सुर्खियों में उछला तो ,
वन विभाग और सीआरपीएफ के संयुक्त टीम ने सर्च ऑपरेशन किया,जिससे हरिया और उसके गुर्गों को जंगल छोड़ कही और छिपना पड़ा।
लेकिन  बुद्धिजीवियों एक  बड़ा वर्ग इनका समर्थन कर रहा था,जिससे इनका बाल भी बांका न हुआ ,और ये फिर वापस अपने इलाके में लौट आतंक फैलाने में लग गए।

इस बार केंद्र सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर अपने तेज तर्रार आईपीएस ऑफिसर तेजस्विनी को भेजा है , इनके आतंक  का सफाया करने।
तेजस्विनी ने तेज तर्रार लोगों की अपनी टीम बनाई ।कई खबरी मुकर्रर किए। उसी में बेचारा  बुधुआ भी था ,जो नक्सलियों द्वारा पकड़ा गया और मौत के घाट लगा दिया गया। अब स्थानीय नेताओं को बहुत दिक्कत हो रही थी। खनन के कारोबारियों से इन नक्सलियों का कमीशन था ।तेजस्विनी ने अपनी टीम वहां सादी वर्दी में  तैनात कर दी।जिससे अब वसूली भी ठीक से हो नहीं पा रही थी।

हरिया बौखला गया था।वह अवसर की तलाश में लगा था ,किसी वारदात को अंजाम देने को ताकि उसका दहशत बरकरार रहे।
लोगों को डरा कर अपना वर्चस्व कायम रखने में अब उसे बहुत मजा आता।

मौका जल्दी ही मिल गया।पास के गांव में  एक मेला लगा था।माता पिता अपने बच्चों के साथ मेला देखने आए  थे।

अचानक  मेले में नक्सलियों ने हमला कर दिया ।क्योंकि बहुत दिनों से शांति थी ,इसलिए पुलिस बल ज्यादा संख्या में तैनात नहीं थी।सिपाही और दरोगा उसमें घायल हुए।
नक्सली कुछ लड़कियों को बारूद के धुएं के बीच से उठा कर ले गए।

उन्होंने चिट्ठी लिख कर छोड़ दी थी , कि कोई पीछे न आए वरना इन लड़कियों को मार दिया जाएगा,वो लड़कियों को अपनी ढाल बना सरकार और प्रशासन पर शिकंजा कसना चाह रहे थे।

रोते बिलखते बच्चियों के माता पिता थाने  पहुंचे ,उस समय तेजस्विनी के जैसी ही एक महिला इंस्पेक्टर, जिसने बहुत विपरीत परिस्थितियों में काम किया था ,तैनात थी।

डेजी नाम था उसका , अत्यंत गरीब परिवार की होने के कारण बहुत संघर्ष के बाद उसने ये मुकाम हासिल किया था।आदिवासी होने के कारण वह वन की बेटी थी।दुर्गम इलाकों की जानकार ,और सबसे बड़ी बात  थी बहुत बहादुर ।
बिरसा मुंडा का खून उसकी रग रग में दौड़ रहा था।

अब तेजस्विनी ने  ,डिप्टी एसपी राघवेंद्र और इंस्पेक्टर  डेजी के नेतृत्व में रणनीति बनानी शुरू की।

इतने दिनों की मुखबिरी से उन्हें नक्सलियों के मददगारों का सुराग लग चुका था। उसी में से एक मुस्तफा  भी था ,मुस्तफा के पास से  एक रेडियो मॉडेम भी हाथ लगा था,जो नक्सली उसे जंगल से सूचना देने ,कोई मदद मांगने  के लिए  ,वो गिरोह में मनोरंजन के लिए लड़कियां भेजने के लिए संदेश भेजा करते थे।पुलिस ने वह रेडियो मॉडेम अपने कब्जे में कर लिया।

इसलिए तेजस्विनी ने एक फैसला लिए जो आत्मघाती था ,लेकिन उसके अलावा कोई चारा भी नहीं था।

तेजस्विनी को पता था ,अगर वे लोग उस गिरोह में शामिल नहीं होंगे, तो नक्सलियों का कमांडर मारा नहीं जाएगा ,और रह रह कर सर उठाएगा और इस बार लड़ाई आर पार की होनी जरूरी थी।इसलिए डेजी को उनके गिरोह में शामिल होकर मिशन को अंजाम करने की कार्ययोजना बनाई गई।

डेजी तैयार थी ,अपनी योग्यता साबित करने को।डेजी  एक ग्रामीण महिला के  वेश  में मुस्तफा के साथ सारंडा के जंगलों में निकल गई  , खतरा बहुत था।

यहां  टीम के लोग सावधान हो गए, कि जैसे ही डेजी, कोई संदेश भेजेगी  वे जंगल में कूच  करने को तैयार रहेंगे।डेजी ने अपने आप को मानसिक तौर पर मुसीबत से लड़ने को तैयार किया।

जब व्यक्ति का परिवार होता है ,तो वह उनके लिए कमजोर पड़ जाता है,लेकिन डेजी जब बहुत छोटी थी ,तो नक्सलियों ने उसके परिवार को मौत के घाट लगा दिया था।तब वे उस समय अपना वर्चस्व बनाने में लगे थे।और विगत 10 सालों में उन नक्सलियों ने अब अपना स्थाई ठिकाना सारंडा के जंगलों में ही बना लिया था। डेजी को अब अपनी जान का कोई भय नहीं था।

मुस्तफा ,ने जंगल में प्रवेश करने से पहले ही डेजी की आंखों में पट्टी बांध दी।वह किसी प्रकार  का शक  स्वयं  के उपर आने  नहीं देना चाहता था,उसे पता था जंगल के चप्पे चप्पे पर पूरी नजर हरिया के आदमी रख रहे थे।

पेड़ की टहनी पर बैठे वो ,एक अजीब सी आवाज करके एक दूसरे को संदेश पहुंचाया करते थे।

बहुत जल्द डेजी और मुस्तफा हरिया के सामने थे।
डेजी के आंखों से पट्टी हटा दी गई।आंखों के आगे काफी देर तक अंधेरा छाया था,उतनी देर आंख बंद होने के कारण।

धुंधली रोशनी में उसने उस दरिंदे को देखा , काला,छोटे कद का ,चेहरे पर मक्कारी ,दरिंदगी और कुटिलता का भाव था।धीरे धीरे साफ साफ वो दरिंदा दिखने लगा,उसके साथ उसकी सहयोगी ,पूर्णिमा थी। जिसकी आंखों में साफ दिख रहा था कि, डेजी का आना उसे अच्छा नहीं लग रहा था,शायद उसे डेजी के सौंदर्य को देख  अपना स्थान  छिनने का डर सताने लगा था।

हरिया ने पूछा _ का रे मुस्तफा , कोतऊ से लाऊ कदम नेह ई सुगड़ कुड़ी।
मुस्तफा _सरकार ,ये  बेचारी बड़ी दुखियारी है,इसका  कोई नहीं है,कच्ची दारू बनाती थी,रोज पुलिस परेशान  करती थी।मैने देखा तो इसे यहां ले आया ।यहीं गिरोह का खाना ,कपड़ा फीचेगी,और सरदार आपकी सेवा भी ,मुस्तफा ने बेशर्मी से हरिया को देख आंख मारी।
हरिया खुश हो रहा था , डेजी को देख कर।उसने जीवन को बुलाया ,और  डेजी को अपहृत लड़कियों के तंबू  में रहने को भेज दिया।
डेजी वहां पहुंची ,तो वो सब लड़कियां थी जिनका मेले से अपहरण हुआ था,सिवाय एक को छोड़।
डेजी को देख वो और सहम गई,तब उसने उन्हें ढांढस बंधाया,की तुमसब को मैं यहां से निकाल लूंगी ,बाहर तुम्हारे माता पिता इंतजार कर रहे हैं।लेकिन तुम्हारे साथ एक और लड़की थी वो कहां है,सबने डरते डरते कहा ,वो थकान के मारे चल नहीं पा रही थी तो उसे इनलोगों ने मार डाला।

डेजी की आंखें नम हो गई। उसकी नींद गायब थी,कैसे वो अपनी टीम से संपर्क कर पाए......।
दो दिन बाद ______

अचानक भगदड़ हुई, उस समय वो खाना बना रही थी,पूरे गिरोह के लिए।उसने पूछा क्या हुआ?एक ने बताया एक लड़की भाग रही थी उसको सरन गया है देखने,आज उसकी खैर नहीं।

इतना सुनते डेजी भागी,जिस ओर से आवाज आई थी।
खोजते खोजते वह उस स्थान पर पहुंच गई,जहां सरन उस लड़की के  भागने का दंड , उसे  बेआबरू करके देने वाला था।
नीचे सरन की बंदूक रखी थी ,और वह सुगना से जबरदस्ती कर रहा था।डेजी ने आव न देखा ताव ,बंदूक की बट से सरन के ऊपर वार कर दिया।ताबड़तोड़ मारने के कारण सर से बहुत सारा खून निकलने लगा ,और तुरंत उसकी मृत्यु हो गई।वहीं पास में एक ट्रांसमीटर रखा था,जिसे सरन ने नीचे रख छोड़ा था।
डेजी ने तुरंत उसपर हेलो चार्ली।
पुलिस टीम सतर्क हो गई।
डेजी ने कहा तापमान 85और न्यूनतम 23 ।
अनुभवी टीम ने तुरंत जंगल की लोकेशन का अक्षांश और देशांतर समझ लिया।

वह चुपचाप अपने काम में आकर लग गई।लेकिन अभी 10मिनट नहीं बीते होंगे ,किसी ने खबर की , कि सरन की लाश मिली है।

हरिया ने पूछा ये कैसे हो सकता है,?जंगल में हमारे आदेश  के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। सरन को किसने मारा?

पूर्णिमा आगे बढ़ी ,उसने कहा सरन के साथ सुगना  को मैने देखा  था।
हरिया ने सुगना पर बंदूक तान दी। उसे देख डेजी आगे बढ़ी ,उसने कहा सरकार अगर मारना हो तो मुझे मारो,मैंने मारा था सरन को।

सरन पुलिस से मिल चुका था ,आपके ऊपर जो इनाम रखा है ,उस रकम के कारण वह आपसे विश्वास घात कर रहा था।वो पुलिस को यहां की खबर दे रहा था।
जब उसकी नज़र मुझ पर गई तो उसने मुझ पर हमला कर दिया।
मैने अपनी रक्षा के लिए , उसे मार डाला ।
पूर्णिमा ने कहा नहीं _ सरकार ये झूठी है ,बचने के लिए कहानियां गढ़ रही है।

हरिया ने तुरंत ट्रांसमीटर मंगाया ,उसपर पुलिस टीम की जंगल में हमला करने की आवाज सुनाई दी, और दूसरे सबूत के  तौर पर बंदूक मंगाई गई ,उसके बट पर खून के धब्बे मिले।अब हरिया को डेजी पर पूर्ण विश्वास हो गया।

इधर अब हरिया ,डेजी पर बहुत  विश्वास  करने लगा।
उधर पुलिस टीम ,सीआरपीएफ,वन विभाग, के लोग पूरे दल बल के साथ हथियारों से लैस होकर जंगल में घुस गए।

यहां भी तुरंत अपनी विशेष आवाज के इशारे से हरिया तक खबर पहुंच गई की पुलिस की टीम आ रही है।पूरे गिरोह ने आधुनिक हथियारों से लैस हो हमले के लिए अपनी अपनी पोजीशन ले ली।

दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हुई,और अंत में हरिया और पूर्णिमा को मार गिराया गया।
और गिरोह के सारे नक्सली गिरफ्तार किए गए।
भारी मात्रा में ,रुपए,हथियार,बहुत से नेताओं के लेटर पैड ,स्टांप बरामद हुए। लड़कियों को छुड़ा उनके घर भेजा गया।
नक्सलियों के सहयोगी सफेदपोश नेताओं के विरुद्ध पर्याप्त सबूत मिलने की वजह से उन्हें गिरफ्तार किया गया।

तेजस्विनी ने डेजी को बधाई दी।डेजी की झोली  इस मिशन के बाद पुरस्कारों से भर गई।
उसे  राष्ट्रपति पुलिस पदक से नवाजा गया।

आज फिर से सारंडा और उसके आसपास  की भूमि में खेती किसानी शुरू हो गई,पर्यटक हाथी ,तितली,और बहुत प्रकार की तितलियों के आकर्षण से खिंचे चले आ रहे।
नैसर्गिक सुंदरता से घिरा ये वन प्रदेश डेजी ,तेजस्विनी और कुछ जांबाज अफसरों की बदौलत नक्सल मुक्त हुआ।
                 समाप्त


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7 Comments

Shrishti pandey

27-Feb-2022 05:59 PM

Nice

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Abhinav ji

27-Feb-2022 09:33 AM

Bahut badhiya mam

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Sangeeta singh

27-Feb-2022 09:41 AM

बहुत बहुत आभार

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Seema Priyadarshini sahay

27-Feb-2022 01:32 AM

बहुत खूबसूरत

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Sangeeta singh

27-Feb-2022 09:41 AM

बहुत बहुत आभार

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